आपने जो कही है
बात आपकी सही है
शायद नहीं भी !
मौन प्रेम की गहराई
वो कुछ समझ नहीं पाई
सीमित के भय से
आपने भी नहीं समझाई
लेखनी आपका प्रेम
एक सीमा में ही दर्शाती
उतना तो वो
भली भांति समझ पाती !
ये कलि है
द्वापर नहीं है
नहीं आज कृष्ण और राधा
बिना बोले
आधा भी समझ नहीं आता
आज के समय में
प्यार का इज़हार है ज़रूरी
वरना प्रेम कथा
रह जायेगी अधूरी !
ये भी सही है।
वैसे प्रेरणा भी वही है,
प्रत्येक शब्दों में वही है,
अगर बहवनाएँ उमड़ती है
तो तह में वही है।
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वाह
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आपने जो कही है
बात आपकी सही है
शायद नहीं भी !
मौन प्रेम की गहराई
वो कुछ समझ नहीं पाई
सीमित के भय से
आपने भी नहीं समझाई
लेखनी आपका प्रेम
एक सीमा में ही दर्शाती
उतना तो वो
भली भांति समझ पाती !
ये कलि है
द्वापर नहीं है
नहीं आज कृष्ण और राधा
बिना बोले
आधा भी समझ नहीं आता
आज के समय में
प्यार का इज़हार है ज़रूरी
वरना प्रेम कथा
रह जायेगी अधूरी !
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