एक बार ज़रूर पढ़ें…
बड़ी ही गहरी बात लिखी हुई है
बेजुबान पत्थर पर लदे हैं करोड़ों के गहने मंदिरों में ;
उसी दहलीज़ पे एक रूपए को तरसते नन्हे हाथों को देखा है !
सजाया गया था चमचमाते झालरों से और चमकते चादर से दरग़ाह को;
बाहर एक फ़कीर को भूख और ठंड से तड़पते देखा है!
लदी हुई है रेशमी चादरों से वो हरी मजार ;
पर बाहर एक बुढ़ी अम्मा को ठंड से ठिठुरते देखा है !
वो दे आया एक लाख गुरूद्वारे में हाल के लिए ;
घर में उसको 500 रूपए के लिए कामवाली बाई बदलते देखा है!
सुना है चढ़ा था कोई सूली पे कोई दुनिया का दर्द मिटाने को…
आज़ चर्च में बेटे की मार से बिलखते मां-बाप को देखा है!
जलाती रही जो अखण्ड ज्योति देशी घी की दिन-रात पुजारन;
आज़ उसे प्रसव (छुटकारा) कुपोषण के कारण मौत से लड़ते देखा है!
जिसने ना दी मां-बाप को भरपेट रोटी कभी जीते जी;
आज़ लगाते उसको भंडारे मरने के बाद देखा है !
दे के समाज की दुहाई ब्याह दिया था जिस बेटी को जबरन बाप ने…
आज़ पीटते उसी शौहर के हाथों सरे-राह देखा है !
मारा गया वो पंडित बेमौत सड़क दुघर्टना में यारों ;
जिसे ख़ुद को कालसर्प, तारें और हाथ की लकीरों का माहिर लिखते देखा है!
जिस घर की एकता की देता था ज़माना कभी मिसाल दोस्तों;
आज़ उसी घर-आंगन में खिंचती दीवार को देखा है!
बंद कर दिया सांपों को सपेरे ने यह कहकर..
अब इंसान ही इंसान को डसने में काम आ रहा है !
आत्महत्या कर ली गिरगिट ने सुसाइड नोट छोड़कर;
अब इंसान से ज्यादा मैं रंग नहीं बदल सकता…!
गिद्ध भी कहीं चले गए लगता है…
उन्होंने देख लिया है कि, इंसान हमसे अच्छा नोंचता है !
कुत्ते कोमा में चले गए…
ये देखकर, क्या मस्त तलवे इंसान चाटता है…!
देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान…
कितना बदल गया इंसान, कितना बदल गया इंसान…!!
SHAAN ✍️✍️✍️✍️

हकीकत व दर्द बयां करती खूबसूरत रचना
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😥
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यथार्थ को उजागर करती बहुत सुंदर रचना 👌
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