
मन की थकान जो उतार दे
वो अवकाश चाहिए..💕
इस भागती सी जिंदगी में
फुरसत की सांस चाहिए..💕
चेहरों को नहीं दिल को भी
पढने का वक्त हो..💕
मुखौटों से कुछ पल का
संन्यास चाहिए..💕
अब बहुत मन भर गया
बड़प्पन और मान से..💕
है बहुत तृप्त हम झूठी
आन बान शान से..💕
इसको भी कुछ दिन का
उपवास चाहिए..💕
बन जाऊं तितली या परिंदा कोई
वो आभास चाहिए..💕
मन की थकान जो उतार दे
वो अवकाश चाहिए..💕