वेलेंटाइन डे।
ये क्या होता है। वेलेंटाइन डे।वो भी सिर्फ एक दिन
उसके बाद क्या। प्रेम करना हो तो। कान्हा के जैसा
करों। और हां राधे कृष्णा अलग नहीं है दोनों एक ही है। उसने कभी किसी के लिए भेद भाव नहीं किया
अमीर गरीब सुंदर या फिर कुरुप। किसी से भेद नहीं।
मानव पशु पक्षी प्रकृति या सृष्टि किसी से भेदभाव नहीं किया। और एक दिन के लिए नहीं एक युग के लिए भी नहीं। युगों युगों से उनका प्रेम कभी कम नहीं
हुआ।
वो ही सच्चा आशिक है और सारी दुनिया उसके लिए
माशूक है। उसके दिल में इतना प्यार भरा है
जो जन्म जन्मांतर तक कभी कम नहीं होगा। सभी को आनंद बांटता है। ऐसे सच्चे आशिक को छोड़ कर
दुसरों से क्या वेलेंटाइन डे मनाना। ऐसा निस्वार्थ
प्रेम कौन करेगा। हमारे भीतर हैं तो हमारी सांसें चल रही है। इससे बड़ा क्या प्रमाण है उसका हमसे प्रेम करने का। ऐसा कोई आपको प्रेम करता है क्या जो
हर पल आपके साथ रहें। तो सच्चा साथी तों वहीं हुआ न। और हमारे देश के लिए तो ये बहुत भारी
शोक का दिन भी है।जब पुलवामा में हमारे चालिस
जवान शहीद हो गए। तो ये खुशीयां मनाने का दिन
कैसे हो सकता है।
कर्ज मिट्टी का, मिट्टी में मिला कर चुकाते हैं।
ये फौजी बड़े जिगर वाले होते हैं।जो सारी जिंदगी
देश पर लुटातें है। तो प्रेम कविता क्या लिखूं।
