मेरी जिंदगी की बीच की बाते….
कल एक झलक जिंदगी को देखा
वो राहों पर मेरी# गुनगुनारही थी,
फिर ढूढा उसे इधर उधर
वो आंख मिचौली कर #मुस्करा रही थी,
एक अरसे बाद आया मुझे करार
वो सहला कर मुझे #सुला रही थी,
हम दोनों क्यों खफा हैं एक दूसरे से
मैं उसे वो मुझे #समझा रही थी,
मैने पूछ लिया:-क्यों इतना #दर्द दिया कमबख्त तूने
वह हंस के बोली मैं जिंदगी हूं पगले हूं पगले ,
#तुझे जीना सीखा रही हूं!!…
